कौन कहता है की जमाना बदल गया
बेटी होने का अभिशाप सर से टल गया
आज भी बेटी होने पर माथे पर सलवट आती है
आज भी बेटी की माँ मन ही मन में घबराती है
आज भी माँ का दिल धडकता है खौफ से
जब बेटी जरा भी देरी से घर वापिस आती है
ये सच है की बेटी को अपनाने का अंदाज बदल गया
पर मत सौचो की जमाना बदल गया.............................
अगर ये सच है तो आज भी बहु क्यों जलाई जाती है
आज भी अपनी ही बेटी कोख में क्यों मरवाई जाती है
पूजते है अगर हम घर घर में दुर्गा, लक्ष्मी, काली को पर
आज भी अपनों द्वारा बेटी की इज्जत दाव पे लगाईं जाती है
कहिये बदले युग का वो खवाब किधर गया
इसलिए मत कहिये की वक़्त बदल गया.....................................