May 11, 2011

मैं ऐसा क्यों हूँ......................................................

क्यूँ  खुश हो जाता हु मैं तुम्हारी ख़ुशी देख के,
क्यूँ  हो जाता हूँ मैं हताश तुम्हे उदास देख के,
चहक सा उठता मैं क्यूँ जब मिलने की बारी आती है,
पर क्यूँ मिलने के बाद घंटो नींद नहीं आती है,

आँखे बंद करने से क्यूँ याद तुम्हारी आती है,
पर जब खुलती है तो क्यूँ फिर तू सामने आती है,
आसूं तेरे टपकते है तो मैं क्यूँ सिसकता हूँ,
जरा सी तू हँसती है तो मैं क्यूँ निखरता हूँ,

जब भी देखता हूँ तुम्हे बस ये सौचता हूँ,
पूछू तुमसे या तुमसे कहूँ रखूं दिल में ये बात या कह दूँ,

सुन जरा बस इतना बता ..........
मैं ऐसा क्यूँ हूँ?
                        मैं ऐसा क्यूँ हूँ?

मुझे जीने की उम्मीद दोबारा दे दो ..........................................

मुझे जीने की उम्मीद दोबारा दे दो,
मेरी डूबती कश्ती को किनारा दे दो,
मैं दर्द के साहिल पे तनहा खड़ा हूँ,
फिर आके अपनी बाँहों का सहारा दे दो,

तेरा दामन तो भरा है सितारों से,
मुझे उन सितारों में से एक सितारा दे दो,
मेरे आँगन में आज अँधेरा है बहुत,
मेरी दहलीज़ को फिर एक नजारा दे दो,

चंद लम्हे तुझे देखने की हसरत है बस,
मैं कब कहता हूँ की वक़्त अपना सारा दे दो.

फूलो से कह दो महकना बंद कर दे.......................................

फूलो से कह दो महकना बंद कर दे,
की उनकी महक की कोई जरूरत नही....

सितारो से कह दो चमकना बंद कर दे,
की उनकी चमक की कोई जरूरत नही....

भवरो से कह दो अब ना गुनगुनाये,
की उनकी गुंजन की कोई जरुरत नही....

सागर की लहरे चाहे तो थम जाये,
की उनकी भी कोई जरुरत नही....

सुरज चाहे तो ना आये बाहर्,
की उसकी किरणो की भी जरुरत नही....

चाँद चाहे तो ना चमके रात भर,
की उसके आने की भी जरुरत नही....

वो जो आ गये हैं इस जहाँ में, तो
दुनिया मे और किसी खूबसूरती की जरुरत ही नही.  

May 6, 2011

खुद अपनी पहचान से अंजान हूँ मैं..............................................


खुद अपनी पहचान से अंजान हूँ मैं,
अपनी पहचान आपसे करवाऊँ कैसे ??
कुछ सिमटी हुई छोटी सी दूनिया है मेरी ,
इस दिल की गहराइयों में आपको ले जाऊं कैसे ??
आसमान की ऊँचाइयों तक मेरे ख्वाब बिखरे हैं ,
अपने अरमानों की हद आपको दिखाऊँ कैसे ??
मुस्कुराना मेरी आदत है आंसुओं को छुपा कर ,
पर हर ग़म को अपनी हसी से बहलाऊँ कैसे ??
दोस्ती ही मेरी चाहत है और दोस्त मेरी ज़िन्दगी ,
इश्क से अपनी बेरुखी का सबब बताऊँ कैसे ??
होकर मेरी सरहदों में शामिल आप ही जान लो मुझे ,
किस्सी और तरह आपको खुद से मिलवाऊँ कैसे ??