बड़ी आसानी से दिल लगाये जाते है
पर बड़ी मुश्किल से वायदे निभाए जाते है
ले जाती है मोहब्बत उन राहों पर
जहाँ दीये नहीं दिल जलाये जाते है।
चले गए थे दूर एक पल के लिए
मगर आपके दिल के करीब थे हर पल के लिए
कैसे भुलायेंगे आपको एक पल के लिए
जहाँ खों चुके खुद को हर पल के लिए।
फूल की तरह हँसते रहो तो हम खुश है
दिल खोलकर जिया करो तो हम खुश है
हम ये नहीं कहते की रोज़ मिलो
बस रोज याद किया करो तो हम खुश है।
ये दुआ है आपकी जिन्दगी संवर जाये
हर नजर में बस प्यार नजर आये
जिसकी तलाश में निकलो तुम
खुदा करे वो खुद तुम्हारी तलाश में आये।
करोगे याद तो हर बात याद आएगी
सुहाने वक़्त ही हर मौज ठहर जाएगी
तलाश करोगे जो हमसे बेहतर कोई
निगाह दूर तक जाकर लौट आएगी।
नन्हे दिल में अरमान कोई रखना
दुनिया की भीड़ में पहचान कोई रखना
अच्छी नहीं लगती रहती हो जब उदास
इन होटों पे मुस्कान सदा वही रखना।
तुम्हे ये जिद है की तुम रूठे रहोगे
हमे ये जिद है की हम मनाके रहेंगे
तुम्हे है कसम तुम मत मुस्कुराना
हमें है कसम हम हंसा के रहेंगे।
नशा जरुरी है जिन्दगी के लिए
पर सिर्फ शराब ही नहीं है बेखुदी के लिए
किसी की मस्त निगाहों में डूब जाओ
बड़ा हसीं समुंदर है खुदखुशी के लिए।
दिल में मुराद हो तो बात जरुर होगी
उजड़े बाग़ में बहार जरुर होगी
रब जाने हम कब मिलेंगे
पर हर दिन आपसे मिलने की खवाइश जरुर होगी।
वक़्त गुजरेगा हम बिखर जायेंगे
कौन जाने हम किधर जायेंगे
हम आपकी परछाई है याद रखना
जहाँ तन्हाई मिली वहा हम नजर आयेंगे।
लम्हे ये सुहाने साथ हो ना हो
कल में आज जैसी बात हो ना हो
आपका प्यार हमेशा इस दिल में रहेगा
चाहें पूरी उम्र मुलाकात हो ना हो।
लव & स्माइल
Feb 28, 2011
मज़बूरी हमारी वो जान ना सके ...............................
गुजारिश वो हमारी जान ना सके
मजबुरी हमारी वो जान ना सके
कहते है मरने के बाद भी याद रखेंगे
जीते जी जो हमें पहचान ना सके।
प्यार हमारा वो पा ना सके
वफ़ा के बोल वो जान ना सके
फिर कैसे कह दिया की हम बेवफा है
जब वफ़ा हमारी वो पहचान ना सके।
बाँहों में हमारी वो आ ना सके
उसकी यादों से बिछुड़ कर हम जी ना सके
हर महफ़िल में तन्हाई ही मिली हमे
और वो कमरी तन्हाई पहचान ना सके
दिल ऐसा टुटा की फिर हम उसे जोड़ ना सके
खुशियों की और वापिस उसे मोड़ ना सके
उन्होंने पुछा की भूल जाओगे क्या हमे
और हम हाँ बोलकर उनका दिल तोड़ ना सके।
मजबुरी हमारी वो जान ना सके
कहते है मरने के बाद भी याद रखेंगे
जीते जी जो हमें पहचान ना सके।
प्यार हमारा वो पा ना सके
वफ़ा के बोल वो जान ना सके
फिर कैसे कह दिया की हम बेवफा है
जब वफ़ा हमारी वो पहचान ना सके।
बाँहों में हमारी वो आ ना सके
उसकी यादों से बिछुड़ कर हम जी ना सके
हर महफ़िल में तन्हाई ही मिली हमे
और वो कमरी तन्हाई पहचान ना सके
दिल ऐसा टुटा की फिर हम उसे जोड़ ना सके
खुशियों की और वापिस उसे मोड़ ना सके
उन्होंने पुछा की भूल जाओगे क्या हमे
और हम हाँ बोलकर उनका दिल तोड़ ना सके।
Feb 24, 2011
मोहबतें स्टुडेंट स्टाइल में ..............................
एक स्टुडेंट था दीवाना सा
एक सब्जेक्ट पे वो मरता था
बुक्स उठा कर चश्मा लगाकर
library से वो गुजरता था
कुछ पढना था शायद उसको
जाने किस्से डरता था
जब भी मिलता था मुझसे पुछा करता था
ये पास कैसे होता है यार ये पास कैसे होता है ??????
और में बस इतना कह पाता था ...........................
किताबें खुली हो या हो बंद
पढना लास्ट night को ही होता है
कैसे कहूँ मैं ओ यारा
ये पास ऐसे ही होता है ।
Feb 22, 2011
मैंने क्यू अपनी जिन्दगी संवारी नहीं है .....................
मैंने क्यू अपनी जिन्दगी संवारी नहीं है,
क्यू तेरे सिवा मुझे कोई चीज़ प्यारी नहीं है
की है मोहबत तो, मैं निभाऊंगा जरुर,
इश्क में मैंने देखि दुनियादारी नहीं है
इधर भड़क रही है आग शोलो की तरह
उधर तो देखो , जरा सी बेकरारी नहीं है
क्यू नफ़रत की नजरो से देखता है जमाना
खुदा की देंन है मोहब्बत , कोई बीमारी नहीं है
दांव और भी अभी चलने तो बाकी है
बाज़ी पूरी तरह मैंने भी हारी नहीं है
खेल ख़तम हुआ नहीं मोहब्बत का मेरी पवन
मत सौच, ज़माने से मेरी जंग जारी नहीं है
क्यू तेरे सिवा मुझे कोई चीज़ प्यारी नहीं है
की है मोहबत तो, मैं निभाऊंगा जरुर,
इश्क में मैंने देखि दुनियादारी नहीं है
इधर भड़क रही है आग शोलो की तरह
उधर तो देखो , जरा सी बेकरारी नहीं है
क्यू नफ़रत की नजरो से देखता है जमाना
खुदा की देंन है मोहब्बत , कोई बीमारी नहीं है
दांव और भी अभी चलने तो बाकी है
बाज़ी पूरी तरह मैंने भी हारी नहीं है
खेल ख़तम हुआ नहीं मोहब्बत का मेरी पवन
मत सौच, ज़माने से मेरी जंग जारी नहीं है
आज भी उसे मेरी याद आती तो होगी ............
आज भी उसे मेरी याद आती तो होगी ,
कैसे वो अपने दिल को समझाती होगी।
न उसे मेरा, न मुझे उसका इन्तजार है,
ये कैसी मोहब्बत है, ये कैसा प्यार है
नहीं करती वो जिकर मेरा महफ़िल में लेकिन,
तन्हाई में मेरी गजले जरुर गुनगुनाती होगी
आज भी उसे मेरी याद आती तो होगी।
साथ नहीं हम लेकिन, जुदा भी नहीं,
हमरी मोहब्बत से वाकिफ तो खुदा भी नहीं
मेरे लिखे ख़त जब वो औरो से छुपाती होगी,
आज भी उसे मेरी याद आती तो होगी।
भूल पाना उसको कहाँ इतना आसान होता है ,
जब कोई किसी का दिल जिगर और जान होता है
अश्को की बारिश को वो कैसे रोक पति होगी,
आज भी उसे मेर याद आती तो होगी।
.....पवन सिंह
कैसे वो अपने दिल को समझाती होगी।
न उसे मेरा, न मुझे उसका इन्तजार है,
ये कैसी मोहब्बत है, ये कैसा प्यार है
नहीं करती वो जिकर मेरा महफ़िल में लेकिन,
तन्हाई में मेरी गजले जरुर गुनगुनाती होगी
आज भी उसे मेरी याद आती तो होगी।
साथ नहीं हम लेकिन, जुदा भी नहीं,
हमरी मोहब्बत से वाकिफ तो खुदा भी नहीं
मेरे लिखे ख़त जब वो औरो से छुपाती होगी,
आज भी उसे मेरी याद आती तो होगी।
भूल पाना उसको कहाँ इतना आसान होता है ,
जब कोई किसी का दिल जिगर और जान होता है
अश्को की बारिश को वो कैसे रोक पति होगी,
आज भी उसे मेर याद आती तो होगी।
.....पवन सिंह
Feb 16, 2011
कलयुग और परीक्षित की आपस में बातचीत................
कहते हैं कि युधिष्ठिर के पोते परीक्षित के बाद कलियुग आरंभ हो गया था । प्रस्तुत है परीक्षित और कलियुग की बातचीत...............
कलियुग बोल्या परीक्षित ताहीं, मेरा ओसरा आया ।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया॥
सोने कै काई ला दूंगा, आंच साच पै कर दूंगा -
वेद-शास्त्र उपनिषदां नै मैं सतयुग खातिर धर दूंगा ।
असली माणस छोडूं कोन्या, सारे गुंडे भर दूंगा -
साच बोलणियां माणस की मैं रे-रे-माटी कर दूंगा ।
धड़ तैं सीस कतर दूंगा, मेरे सिर पै छत्र-छाया ।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया ॥
मेरे राज मैं मौज करैंगे ठग डाकू चोर लुटेरे -
ले-कै दें ना, कर-कै खां ना, ऐसे सेवक मेरे ।
सही माणस कदे ना पावै, कर दूं ऊजड़-डेरे -
पापी माणस की अर्थी पै जावैंगे फूल बिखेरे ॥
ऐसे चक्कर चालैं मेरे मैं कर दूं मन का चाहया ।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया ॥
कलियुग बोल्या परीक्षित ताहीं, मेरा ओसरा आया ।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया॥
सोने कै काई ला दूंगा, आंच साच पै कर दूंगा -
वेद-शास्त्र उपनिषदां नै मैं सतयुग खातिर धर दूंगा ।
असली माणस छोडूं कोन्या, सारे गुंडे भर दूंगा -
साच बोलणियां माणस की मैं रे-रे-माटी कर दूंगा ।
धड़ तैं सीस कतर दूंगा, मेरे सिर पै छत्र-छाया ।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया ॥
मेरे राज मैं मौज करैंगे ठग डाकू चोर लुटेरे -
ले-कै दें ना, कर-कै खां ना, ऐसे सेवक मेरे ।
सही माणस कदे ना पावै, कर दूं ऊजड़-डेरे -
पापी माणस की अर्थी पै जावैंगे फूल बिखेरे ॥
ऐसे चक्कर चालैं मेरे मैं कर दूं मन का चाहया ।
अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया ॥
वेदव्यास जी कलुकाल का हाल लिखन लगे सारा ..........
समद ऋषि जी ज्ञानी हो-गे जिसनै वेद विचारा ।
वेदव्यास जी कळूकाल* का हाल लिखण लागे सारा ॥ टेक ॥
एक बाप के नौ-नौ बेटे, ना पेट भरण पावैगा -
बीर-मरद हों न्यारे-न्यारे, इसा बखत आवैगा ।
घर-घर में होंगे पंचायती, कौन किसनै समझावैगा -
मनुष्य-मात्र का धर्म छोड़-कै, धन जोड़ा चाहवैगा ।
कड़ कै न्यौळी बांध मरैंगे, मांग्या मिलै ना उधारा* ॥1॥
वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
लोभ के कारण बल घट ज्यांगे*, पाप की जीत रहैगी -
भाई-भाण का चलै मुकदमा, बिगड़ी नीत रहैगी ।
कोए मिलै ना यार जगत मैं, ना सच्ची प्रीत रहैगी -
भाई नै भाई मारैगा, ना कुल की रीत रहैगी ।
बीर नौकरी करया करैंगी, फिर भी नहीं गुजारा ॥2॥
वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
सारे कै प्रकाश कळू का, ना कच्चा घर पावैगा* -
वेद शास्त्र उपनिषदां नै ना जाणनियां पावैगा ।
गौ लोप हो ज्यांगी दुनियां में, ना पाळनियां पावैगा -
मदिरा-मास नशे का सेवन, इसा बखत आवैगा ।
संध्या-तर्पण हवन छूट ज्यां, और वस्तु* जांगी बाराह ॥3॥
वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
कहै लखमीचंद छत्रापण* जा-गा, नीच का राज रहैगा -
हीजड़े मिनिस्टर बण्या करैंगे, बीर कै ताज रहैगा ।
दखलंदाजी और रिश्वतखोरी सब बे-अंदाज रहैगा -
भाई नै तै भाई मारैगा, ना न्याय-इलाज रहैगा ।
बीर उघाड़ै सिर हांडैंगी, जिन-पै दल खप-गे थे अठाराह* ॥4॥
वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
मतलब
कळूकाल = कलियुगकड़ कै न्यौळी बांध मरैंगे, मांग्या मिलै ना उधारा = लोग कमर में या जेब में पैसा बांधे रखेंगे, फिर भी मांगने पर या उधार में पैसा नहीं मिलेगा ।लोभ के कारण बल घट ज्यांगे = घी-दूध आदि महंगा हो जायेगा, लोग लोभ में आकर इसे खरीद नहीं पायेंगे और उनका शारीरिक बल घटता जायेगा ।सारे कै प्रकाश कळू का, ना कच्चा घर पावैगा = कलियुग में सब जगह (बिजली का) उजाला रहेगा और सब मकान पक्के होंगे ।वस्तु जांगी बाराह = सोना, चांदी, तांबा आदि बारह धातु (वस्तु) गायब हो जायेंगी ।छत्रापण जा-गा = क्षत्रियपन मिट जायेगा जिन-पै दल खप-गे थे अठाराह = द्रोपदी के चीरहरण के कारण महाभारत हुआ था जिसमें कुल 18 सेनाऐं खत्म हो गईं थीं (कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी और पांडवों के पास 7) ।
वेदव्यास जी कळूकाल* का हाल लिखण लागे सारा ॥ टेक ॥
एक बाप के नौ-नौ बेटे, ना पेट भरण पावैगा -
बीर-मरद हों न्यारे-न्यारे, इसा बखत आवैगा ।
घर-घर में होंगे पंचायती, कौन किसनै समझावैगा -
मनुष्य-मात्र का धर्म छोड़-कै, धन जोड़ा चाहवैगा ।
कड़ कै न्यौळी बांध मरैंगे, मांग्या मिलै ना उधारा* ॥1॥
वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
लोभ के कारण बल घट ज्यांगे*, पाप की जीत रहैगी -
भाई-भाण का चलै मुकदमा, बिगड़ी नीत रहैगी ।
कोए मिलै ना यार जगत मैं, ना सच्ची प्रीत रहैगी -
भाई नै भाई मारैगा, ना कुल की रीत रहैगी ।
बीर नौकरी करया करैंगी, फिर भी नहीं गुजारा ॥2॥
वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
सारे कै प्रकाश कळू का, ना कच्चा घर पावैगा* -
वेद शास्त्र उपनिषदां नै ना जाणनियां पावैगा ।
गौ लोप हो ज्यांगी दुनियां में, ना पाळनियां पावैगा -
मदिरा-मास नशे का सेवन, इसा बखत आवैगा ।
संध्या-तर्पण हवन छूट ज्यां, और वस्तु* जांगी बाराह ॥3॥
वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
कहै लखमीचंद छत्रापण* जा-गा, नीच का राज रहैगा -
हीजड़े मिनिस्टर बण्या करैंगे, बीर कै ताज रहैगा ।
दखलंदाजी और रिश्वतखोरी सब बे-अंदाज रहैगा -
भाई नै तै भाई मारैगा, ना न्याय-इलाज रहैगा ।
बीर उघाड़ै सिर हांडैंगी, जिन-पै दल खप-गे थे अठाराह* ॥4॥
वेदव्यास जी कळूकाल का हाल लिखण लागे सारा ।
मतलब
कळूकाल = कलियुगकड़ कै न्यौळी बांध मरैंगे, मांग्या मिलै ना उधारा = लोग कमर में या जेब में पैसा बांधे रखेंगे, फिर भी मांगने पर या उधार में पैसा नहीं मिलेगा ।लोभ के कारण बल घट ज्यांगे = घी-दूध आदि महंगा हो जायेगा, लोग लोभ में आकर इसे खरीद नहीं पायेंगे और उनका शारीरिक बल घटता जायेगा ।सारे कै प्रकाश कळू का, ना कच्चा घर पावैगा = कलियुग में सब जगह (बिजली का) उजाला रहेगा और सब मकान पक्के होंगे ।वस्तु जांगी बाराह = सोना, चांदी, तांबा आदि बारह धातु (वस्तु) गायब हो जायेंगी ।छत्रापण जा-गा = क्षत्रियपन मिट जायेगा जिन-पै दल खप-गे थे अठाराह = द्रोपदी के चीरहरण के कारण महाभारत हुआ था जिसमें कुल 18 सेनाऐं खत्म हो गईं थीं (कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी और पांडवों के पास 7) ।
Feb 9, 2011
खुद को मिटाया था जब सौचा था किसी को पा लेंगे............
खुद को मिटाया था जब सौचा था किसी को पा लेंगे,
मगर खुद को मिटाकर भी उसको ना पा सके,
वो मेरा कभी हुआ ही नहीं,
मुझको भी अपना बनाया नहीं,
इस कांच के नाजुक रिश्ते को, उसने कभी अपनाया ही नहीं ,
फिर क्या हो उस कोशिश का जो मैं हमेशा करता रहा,
तुझ को पाने की कोशिश में, खुद को भी भुलाता रहा ।
मगर खुद को मिटाकर भी उसको ना पा सके,
वो मेरा कभी हुआ ही नहीं,
मुझको भी अपना बनाया नहीं,
इस कांच के नाजुक रिश्ते को, उसने कभी अपनाया ही नहीं ,
फिर क्या हो उस कोशिश का जो मैं हमेशा करता रहा,
तुझ को पाने की कोशिश में, खुद को भी भुलाता रहा ।
Feb 2, 2011
दिल रोना और चाँद
दिल
मेरा दिल
मेरे दिल से निकलकर
उसके दिल में जा बैठा।
लोग कहते हैं की शीशा था।
रोना
मैंने
२० डेसीबेल से कम शोर में
और
बिना अश्कों के रोना सीख लिया है
अबकी दिल टूटेगा तो किसी को पता नहीं चलेगा।
चाँद
चाँद सारी रात उसकी छत पे बैठा रहा
जब दीदार नहीं देना होता तो कुछ लोग बुलाते क्यूँ हैं?
मेरा दिल
मेरे दिल से निकलकर
उसके दिल में जा बैठा।
लोग कहते हैं की शीशा था।
रोना
मैंने
२० डेसीबेल से कम शोर में
और
बिना अश्कों के रोना सीख लिया है
अबकी दिल टूटेगा तो किसी को पता नहीं चलेगा।
चाँद
चाँद सारी रात उसकी छत पे बैठा रहा
जब दीदार नहीं देना होता तो कुछ लोग बुलाते क्यूँ हैं?
14 फरवरी नहीं है मेरा प्यार ..................
मेरा प्यार नही है इठलाती नदी
वो है गहरा सागर
वो अगरबत्ती का धुआ नही जिससे आती है खुशबू
वो है रसोई का धुआं जो रुलाता तो है पर जिसके बिना रहा नही जा सकता
वो गिफ्ट नही, वो वनिला की आइसक्रीम नही,
पिज्जा नही, बर्गर नहीहॉट काफी नही, चॉकलेट नही है वो
वो रोज रोज का I LOVE YOU नही,
वो है दाल रोटी चावल
वो है पानी ठंडावो है गर्म दूध
वो है पूरियां, आम का आचार है वो
वो आखिरी पांच मिनट का क्लाइमेक्स नही है
वो उससे पहले की २।५ घंटे की स्टोरी
वो गुलाब का फूल नही जो मुरझा जाए
वो है उसके अगल बगल निकले हुए कांटे
जो जिन्दा रहते है और साथ देते है पेड़ का मरते दम तक
वो २ पेज का ग्रीटिंग कार्ड नही
वो है एक किताब जिसके पन्ने बढ़ते जा रहे है रोज
वो एक प्यारी कविता नही जो सबको लगे अच्छी
वो है एक बोरिंग कहानी जिसे पढने के लिए चाहिए संयम
वो प्राइवेट की गद्देदार कुर्सी की तरह नही जिस पर पड़ जाए मंदी का असर
वो है टूटी हुई सरकारी कुर्सी जिसे नही सकता कोई हिला
१४ फ़रवरी नही है मेरा प्यार
वो है 365*24*60*60
वो है गहरा सागर
वो अगरबत्ती का धुआ नही जिससे आती है खुशबू
वो है रसोई का धुआं जो रुलाता तो है पर जिसके बिना रहा नही जा सकता
वो गिफ्ट नही, वो वनिला की आइसक्रीम नही,
पिज्जा नही, बर्गर नहीहॉट काफी नही, चॉकलेट नही है वो
वो रोज रोज का I LOVE YOU नही,
वो है दाल रोटी चावल
वो है पानी ठंडावो है गर्म दूध
वो है पूरियां, आम का आचार है वो
वो आखिरी पांच मिनट का क्लाइमेक्स नही है
वो उससे पहले की २।५ घंटे की स्टोरी
वो गुलाब का फूल नही जो मुरझा जाए
वो है उसके अगल बगल निकले हुए कांटे
जो जिन्दा रहते है और साथ देते है पेड़ का मरते दम तक
वो २ पेज का ग्रीटिंग कार्ड नही
वो है एक किताब जिसके पन्ने बढ़ते जा रहे है रोज
वो एक प्यारी कविता नही जो सबको लगे अच्छी
वो है एक बोरिंग कहानी जिसे पढने के लिए चाहिए संयम
वो प्राइवेट की गद्देदार कुर्सी की तरह नही जिस पर पड़ जाए मंदी का असर
वो है टूटी हुई सरकारी कुर्सी जिसे नही सकता कोई हिला
१४ फ़रवरी नही है मेरा प्यार
वो है 365*24*60*60
Subscribe to:
Posts (Atom)