जब हर शब्द केवल वेदना दे
हर गीत उदास लगे
तब सिर्फ एक बार पुकारना मेरा नाम
जब तपती दोपहर चुभने लगे
मुस्कान फीकी पड़ने लगे
तब सिर्फ एक बार करना याद
जब चाँद निकले ही ना बादलों से
और रात बहुत गहरी लगे
तब सिर्फ एक बार थामना मेरा हाथ
मैं हर मोड़ पर मिलूँगा तुमसे
मील का पत्थर बनकर
मैं साथ चलूँगा कड़ी धूप में
वटवृक्ष की छाया बनकर
जब मिल जाए मंजिल तुमको
और तुम ना देखना चाहो मुड़कर
मैं परछाई-सा विलीन हो जाऊंगा....
तब सिर्फ एक बार पुकारना मेरा नाम
जब तपती दोपहर चुभने लगे
मुस्कान फीकी पड़ने लगे
तब सिर्फ एक बार करना याद
जब चाँद निकले ही ना बादलों से
और रात बहुत गहरी लगे
तब सिर्फ एक बार थामना मेरा हाथ
मैं हर मोड़ पर मिलूँगा तुमसे
मील का पत्थर बनकर
मैं साथ चलूँगा कड़ी धूप में
वटवृक्ष की छाया बनकर
जब मिल जाए मंजिल तुमको
और तुम ना देखना चाहो मुड़कर
मैं परछाई-सा विलीन हो जाऊंगा....
No comments:
Post a Comment