Sep 3, 2012

ऊंखल तै मूसल का मेल तगड़ा हो सै,

"यु किसान कितना करडा हो सै"
ऊंखल तै मूसल का मेल तगड़ा हो सै,
काबू साचा अर झूठा यो झगड़ा हो सै,
भाई गंडा पड़दे हो ज्यो खेत तै बाहर,
नीतो खामखा का उड़ फेर पचड़ा हो सै,
जो खुद उठ के पाणी भी ना पी सके,
वो दोनूं टांगा आला भी लंगड़ा हो सै,
दुपहरी मैं जिसने गेंहू के गैरे लगाए हों,
वोये जानै यूं किसान कितना करड़ा हो सै,
पौ मैं पाणी लाणा कोए आसान काम नि,
करके देखियो हाड फोड़ यूं खसरा हो सै,
भाई-चारे की बात नूये सुलट ज्या तै ठीक,
नातो कोर्ट-कचहरी मैं घनाये रगड़ा हो सै...
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