Nov 12, 2010

जीने का दील करता नही पर मौत है कि आती नही

यादों का सहारा कल तक जीने के लिए काफी था
अब आँखों को नींद है कि आती नही
अब जब गुजरता हूँ उन्ही वादियों से फिर कभी
जो हसीं लगती थी कल तक वो अब दिल को भाती नही
वो सांसों कि गर्मियां जेहन मै भी हैं अब भी बसीं
पर अब क्या हुआ जो धडकने फिर से तेज हो जाती नही
अब गेसुयों कि खुशबू ख्यालों मै तो हैं मगर
क्या हुआ जो अब वो गेसू खुल के बिखर जाती नही
वो छेड़ जाना नजरों से सबसे नजर बचा कर के
क्या हुआ उन नजरों को , कि अब वो शोखियाँ आती नही
वो अपलक देखना तेरा जब भी गुजरना पास से
और वो सहेलियों का कहना कि एक तू है कि शर्माती नही
सबका पूछना कि चेहरे पे तो दीखती हैं शुर्खियाँ तेरे
और एक तू है कि हम से कुछ बताती नही
अब भी करती हैं परेशां बस वही मुहब्बत कि बातें
कोशिश करता हूँ बहुत पर वो सरगोशियाँ भूल पाती नही
भूल के ना भूल पाया हूँ मै उस भूल को
जीने का दिल करता नही पर मौत है कि आती नही ,
I Love You My Preety.................................

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