Nov 23, 2010

मेरी चाहत

जी भर कर जब देखा तुम्हे
तुम वही लगी
कुछ मेरे अपने कुछ पराये
कुछ जाने कुछ अनजाने
कुछ सोचे कुछ समझे
कुछ प्यारे कुछ पुकारे
अब जब तुम नहीं हो
मेरे सामने न होते हुए भी
मेरे होएकदम अपने
मानो मेरे अन्दर बसे
कुछ उलझे कुछ उलझाते
कुछ सुलझे कुछ सुलझाते
आज भी तुम उतनी ही करीब हो
मेरे अन्दर सांस लेते मेरी आँखों में बसे
मेरे होठों पर मुस्काते
मेरे स्पर्श में बसे मेरी हर धड़कन में बसे
मेरी हर सांस में समाये हो
तुम ही हो वो जिसे मैंने ढूंडा आख़िरकार पा भी लिया,
आई लव यू माय जानू !

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