Nov 23, 2010

प्यार क्या है ?


प्यार क्या है?
मैंने खुद से यह सवाल कई बार पूछा है. मन में कई जवाब आते भी हैं. कभी लगा प्यार पाना है तो कभी लगा की प्यार देना है. कभी लगा की प्यार छोड़ देना है. आपका होगा तो वापस आयेगा जरुर. आता भी है. लेकिन फिर चला जाता है. इस प्यार को क्या कहेंगे? ये कैसा प्यार है जो आता है और फिर चला जाता है? कहते हैं फुल की खुशबु की तरह प्यार होता है. तो कुछ लोग कहते हैं की प्यार जादुई होता है. पर मैंने जिस प्यार को महसूस किया है, वो अजीबोगरीब किस्म का है. मन में बेचैनी जगा जाता है और फिर छोड़ जाता है अकेले सुबकने के लिए. तब मन में आता है की इस प्यार को क्या कहें, क्या नाम दे? जो आपको छोड़ जाता है सुबकने के लिए, लड़ने के लिए.प्यार, ये हमे जीना भी सिखाता है आपके अपनों के लिए. उन्हें खुश देखने के लिए, उन्हें प्यार करने के लिए. मैंने शिद्दती प्यार को महसूस किया है, जो आता है दुबारा तो फिर जाने का नाम नहीं लेता. नश्तर की तरह चुभ जाता है आपके अन्दर. तीस्त्ता रहता है पल-पल हर क्षण. कष्ट देता है और ख़ुशी भी. सोचने पर महसूस होता है की प्यार कितना खुबसूरत होता है. तो कभी लगता है प्यार कितना कष्टदायक होता है. पर प्यार तो वही है तो जो आपको हिम्मत दे, जूनून दे. कुछ पाने का जूनून, किसी को चाहने का जूनून. और वो प्यार ही किस काम का जो आपमें जूनून न पैदा करे. जो आपको लड़ने पर उतारू न कर दे, अपनी किस्मत से, अपनी परिस्थितियों से. प्यार तो उस रस्ते की तरह है जिस पर आप चलते हैं तो उस छोटे गड्ढे को नहीं याद रखते जो रस्ते में आता है. बल्कि पुरे रास्ते को याद करते हैं और खुश होते हैं की ये रास्ता बहुत प्यारा है, आखिर आपकी जिंदगी का प्यार जो साथ है.

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