Dec 7, 2010

हदों में रहके कभी प्यार हो नही सकता?

हदों मे रहके तो व्यापार होते आयें हैं,
हदों में रहके कभी प्यार हो नही सकता।
हदों में रहके तुम इन्कार कर तो सकते हो,
हदों में रहके पर इकरार हो नहीं सकता।

तूँ जिस तरह से किनारे को पकडे बैठा है,
आज क्या तूँ कभी उस पार हो नहीं सकता।
जो अपने यार की उम्मीद पे ना उतरे खरा,
वो रिश्तेदार ही होगा वो यार हो नही सकता।

खोने और पाने का हिसाब जब लगे लगने,
तो फिर वो दोस्ती होगी वो प्यार हो नहीं सकता।
अगर पाना है मंजिल को तो घर को छोडना होगा,
कैदी दीवारों का मंजिल का हकदार हो नही सकता।

निकलना दायरों से तेरा लाजिम है तूँ मेरी मान,
रह के दायरों मे तूँ मेरा प्यार हो नहीं सकता।
रिश्तों में हदें होती हैं नहीं प्यार में होती,
हदों में रिश्ते निभ सकते हैं प्यार हो नहीं सकता।

खुले आकाश मे उडना अगर चाहत है तो सुन ले,
हदों के पिंजरे मे रहके ये मुमकिन हो नहीं सकता।
निकल जाती है गाडी सामने से उस मुसाफिर के,
जो रहते वक्त गाडी मे सवार हो नहीं सकता।

मेरे तन मन पे जब अधिकार तेरा , सिर्फ तेरा है,
तो क्यों तुझ पर यही अधिकार मेरा हो नहीं सकता।
हदों में रहके कभी प्यार हो नही सकता।

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