मैंने क्यू अपनी जिन्दगी संवारी नहीं है,
क्यू तेरे सिवा मुझे कोई चीज़ प्यारी नहीं है
की है मोहबत तो, मैं निभाऊंगा जरुर,
इश्क में मैंने देखि दुनियादारी नहीं है
इधर भड़क रही है आग शोलो की तरह
उधर तो देखो , जरा सी बेकरारी नहीं है
क्यू नफ़रत की नजरो से देखता है जमाना
खुदा की देंन है मोहब्बत , कोई बीमारी नहीं है
दांव और भी अभी चलने तो बाकी है
बाज़ी पूरी तरह मैंने भी हारी नहीं है
खेल ख़तम हुआ नहीं मोहब्बत का मेरी पवन
मत सौच, ज़माने से मेरी जंग जारी नहीं है
"क्यू नफ़रत की नजरो से देखता है जमाना
ReplyDeleteखुदा की देंन है मोहब्बत , कोई बीमारी नहीं है
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खेल ख़तम हुआ नहीं मोहब्बत का मेरी पवन
मत सौच, ज़माने से मेरी जंग जारी नहीं है"
सोच को शब्द देने का सार्थक प्रयास - शुभकामनाएं