खुद को मिटाया था जब सौचा था किसी को पा लेंगे,
मगर खुद को मिटाकर भी उसको ना पा सके,
वो मेरा कभी हुआ ही नहीं,
मुझको भी अपना बनाया नहीं,
इस कांच के नाजुक रिश्ते को, उसने कभी अपनाया ही नहीं ,
फिर क्या हो उस कोशिश का जो मैं हमेशा करता रहा,
तुझ को पाने की कोशिश में, खुद को भी भुलाता रहा ।
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