Feb 28, 2011

मज़बूरी हमारी वो जान ना सके ...............................

गुजारिश वो हमारी जान ना सके
मजबुरी हमारी वो जान ना सके
कहते है मरने के बाद भी याद रखेंगे
जीते जी जो हमें पहचान ना सके।

प्यार हमारा वो पा ना सके
वफ़ा के बोल वो जान ना सके
फिर कैसे कह दिया की हम बेवफा है
जब वफ़ा हमारी वो पहचान ना सके।

बाँहों में हमारी वो आ ना सके
उसकी यादों से बिछुड़ कर हम जी ना सके
हर महफ़िल में तन्हाई ही मिली हमे
और वो कमरी तन्हाई पहचान ना सके

दिल ऐसा टुटा की फिर हम उसे जोड़ ना सके
खुशियों की और वापिस उसे मोड़ ना सके
उन्होंने पुछा की भूल जाओगे क्या हमे
और हम हाँ बोलकर उनका दिल तोड़ ना सके।

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