आज भी उसे मेरी याद आती तो होगी ,
कैसे वो अपने दिल को समझाती होगी।
न उसे मेरा, न मुझे उसका इन्तजार है,
ये कैसी मोहब्बत है, ये कैसा प्यार है
नहीं करती वो जिकर मेरा महफ़िल में लेकिन,
तन्हाई में मेरी गजले जरुर गुनगुनाती होगी
आज भी उसे मेरी याद आती तो होगी।
साथ नहीं हम लेकिन, जुदा भी नहीं,
हमरी मोहब्बत से वाकिफ तो खुदा भी नहीं
मेरे लिखे ख़त जब वो औरो से छुपाती होगी,
आज भी उसे मेरी याद आती तो होगी।
भूल पाना उसको कहाँ इतना आसान होता है ,
जब कोई किसी का दिल जिगर और जान होता है
अश्को की बारिश को वो कैसे रोक पति होगी,
आज भी उसे मेर याद आती तो होगी।
.....पवन सिंह
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